सरदार पटेल की पुण्यतिथि Sardar Patel Death Anniversary
आज यानी 15 दिसंबर 2020 को सरदार वल्लभभाई पटेल जिन्हें हम लौह पुरुष के नाम से भी जानते हैं, उनकी पुण्यतिथि हैं| सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था, जो उस वक्त ब्रिटिश भारत में बंबई प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था| सरदार झवेर भाई पटेल और लाडबा देवी की चौथी संतान थे|
सरदार पटेल ने 22 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास की और आर्थिक तंगी के कारण स्कूली शिक्षा के बाद पढ़ नहीं सके, लेकिन उनका जुनून ऐसा की किताबें लेकर जिला अधिकारी की परीक्षा की तैयारी में लग गए उनकी मेहनत का परिणाम उन्हें मिला और उन्होंने इस परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए| इसके बाद वे 36 साल की उम्र में इंग्लैंड चले गए और वहां से वकालत की पढ़ाई की| वकालत का कोर्स जो कि 36 महीने का हुआ करता था उसे पटेल ने सिर्फ 30 महीनों में पूरा कर लिया, इससे हम पता लगा सकते हैं कि वह कितने कुशाग्र बुद्धि के छात्र रहे होंगे|
सरदार पटेल बहुत ही धैर्यवान व्यक्ति थे, 1909 में जब उनकी पत्नी का निधन हुआ उस दौरान वह कोर्ट में वकालत कर रहे थे, उस वक्त किसी ने कागज के टुकड़े पर लिखकर उन्हें यह दुखद खबर दी, परंतु उन्होंने उस कागज को पढ़कर बिना कोई हड़बड़ाहट किए उस कागज को जेब में रख दिया और कार्यवाही खत्म होने के बाद सब को इस बारे में बताया|
पटेल भारत के पहले उप प्रधानमंत्री थे और साथ ही उस वक्त उन्होंने भारत के गृहमंत्री के तौर पर भी काम किया| जब भारत के गृह मंत्री बने तब उन्होंने भारत के अनेकों अनेक छोटी बड़ी रियासतों के भारत में विलय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| जब देश आजाद हुआ तब कोई 562 रियासतें थी, इन का भारत में विलय कराना एक जटिल कार्य था परंतु सरदार पटेल ने अपनी सूझबूझ से इस कार्य को शानदार तरीके से निपटाया|
उस वक्त मुख्य तौर पर कुछ रियासतें जैसे जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर ही ऐसी थी जो भारत में विलय के पक्ष में नहीं थी| सरदार पटेल ने विद्रोह करके जूनागढ़ और हैदराबाद के निजाम को भारत के साथ विलय करने के लिए तैयार कर लिया|
जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान के साथ जाना चाहता था (आपको बता दें कि अंग्रेजों ने आजादी के वक्त सभी रियासतों को भारत और पाकिस्तान में विलय या आजाद रहने का विकल्प दिया था), सरदार पटेल के लिए नाक का सवाल था क्योंकि जूनागढ़ उनके गृह राज्य गुजरात में था| जब जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में जाने का फैसला किया तब हिंदू बहुल जूनागढ़ की जनता ने इसका विरोध किया और नवाब के फैसले से नाराज पटेल ने सेना भेजकर जूनागढ़ के 2 बड़े प्रांतों मांगरोल और बाबरिवाड़ पर कब्जा जमा लिया| इसके बाद नवाब पाकिस्तान भाग गया और फिर जब जूनागढ़ में जनमत संग्रह कराया गया तो 99 फ़ीसदी जनता ने भारत के साथ जाने का पक्ष रखा| इसी तरह सरदार पटेल ने "ऑपरेशन पोलो" के तहत हैदराबाद के निजाम को भी झुकने पर मजबूर कर दिया और सरदार लोह पुरुष के नाम से प्रसिद्ध हुए|
सरदार की जीवन के बारे में अन्य बातें
सरदार पटेल को गांधीजी से बहुत लगाव था| गांधी जी की हत्या के बाद वे बीमार रहने लगे और कुछ समय बाद हार्टअटैक से उनका निधन हो गया| गांधी जी की हत्या के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हत्या में कथित तौर पर शामिल होने के आरोपों की वजह से गृह मंत्री के तौर पर सरदार पटेल ने RSS(राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर प्रतिबंध लगा दिया था|
आज 15 दिसंबर को सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि "सशक्त, सुदृढ़ और समृद्ध भारत की नींव रखने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन। उनके दिखाए मार्ग हमें देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए सदा प्रेरित करते रहेंगे।"
सरदार पटेल के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को सुनने के लिए आप हमारे पॉडकास्ट पर भी जा सकते हैं Podcast
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